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________________ द ५६८ ज्ञानाचार ५ की दुर्लभता के २७१ ७६२ ज्ञान वृद्धि करने वाले ६८८ दृष्टिवाद के दस नाम ३५१ दस नक्षत्र ४४४ | ७२९ देवों के दस भेद ४१५ | ५९४ दोष पाठ अनेकान्तवाद ५८२ झूठ बोलने के अप्ठ | पर और उनकाधारण १०२ कारण | ६०३ दोष श्राठ चित्तके १२० | ५८३ दोष वर्जनीय पाठ ३८ ६३३ तस्व नौ १७७ | ७२३ दोष विशेष दस ४१० ६२४ तीर्थकर गोत्र बांधने ७३६ द्वीपकुमारों के अधिवाले पति ६१२ तृणवनस्पतिकाय १२९ १२९ | ७१८ द्रव्यानुयोग ३९१ ७४५ तृण वनस्पतिकाय ४२२ ६१० स योनि आठ १२७/६६१ धर्म दस ६९२ धर्म दस (प्रामधर्म ५९८ दर्शन पाठ आदि) ३६१ ७०९ दर्शन विनय के दस बोल ३८४ | ७०५ नवकारसी आदि ५६९ दर्शनाचार आठ पच्चक्खाण ६८५ दस श्रावक ६३३ नव तत्त्व १७७ ७६८ दान दस ७३२ नागकुमारों के ७३८ दिक्कुमारों के अधिपति . अधिपति ४१९ | ७१९ नाम दस प्रकार का ३९५ ७५३ दिशाएं दस ४३७ ७४७ नारकी जीव दस ४२४ ६८३ दीक्षा लेने वाले | ७४८ नारकी जीवों के वेदना . चक्रवर्ती दस प्रकार की ४२५ ५७९ दृष्टान्त आठ प्रति- ६५२ नारद नौ २१९ क्रमण के और भेद २१ ] ५९१ नास्तिक आठ . ९० ६८० दृष्टान्त दस मनुष्य भव ६४४ निदान (नियाणा) नौ २१५ १०९ २९४ ४१८
SR No.010510
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages490
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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