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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह तीसरे
खर्च का ब्यौरा
प्रति ५०० कागज ३०॥ रीम, २१) प्रति रोम =
६४ा ) (साइज १८४२२ %, अट्ठाईस पौण्ड) छपाई ७) प्रति फार्म, ६१ फार्म ८ पेजी
४२७) जिल्द बंधाई ।) एक प्रति
१२५)
११९२३) ऊपर बताये गये हिसाब के अनुसार एक पुस्तक की लागत कागज के भाव बढ़ जाने से रा) करीब पड़ी है। प्रन्थ तैयार कराना, प्रेस कापी लिखाना तथा प्रूफ रीडिङ्ग आदि का खर्चा इसमें नहीं जोड़ा गया है। इसके जोड़ने पुर तो गन्थ की कीमत ज्यादा होती है। ज्ञानप्रचार की दृष्टि से कीमत केवल २) ही रखी गई है, वह भी पुनः ज्ञानप्रचार में ही लगाई जायगी। .. नोट-इस पुस्तक की पृष्ठ संख्या ४५८ + ३० = कुल मिलाकर ४८८
और वजन लगभग १३ छटांक है। एक पुस्तक मंगाने में खर्च अधिक पड़ता है। एक साथ पांच पुस्तकें रेल्वे पार्सल से मंगाने में खर्च कम पड़ता है । मालगाड़ी से मंगाने पर खर्च और भी कम पड़ता है।
पुस्तक मिलने का पता
अगरचन्द भैरोदान सेठिया जैन ग्रन्थालय,
बीकानेर (राजपूताना)