________________ 44 श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला ४४०-ज्ञानावरणीय कर्म बांधने के छ कारण (१)ज्ञानी से विरोध करना या उसके प्रतिकूल आचरण करना। (2) ज्ञानगुरु तथा ज्ञान का गोपन करना / (३)ज्ञान में अन्तराय देना / (4) ज्ञानी से द्वेष करना। ( 5 ) ज्ञान एवं ज्ञानी की असातना करना / (6) ज्ञान एवं ज्ञानी के साथ विवाद करना अथवा उनमें दोष दिखाने की चेष्टा करना। (भगवती शतक 8 उद्देशा है) ४४१--दर्शनावरणीय कर्म बांधने के छः कारण (1) दर्शनवान् के साथ विरोध करना या उसके प्रतिकूल आचरण करना। (2) दर्शन का निह्नवन (गोपन ) करना / (3) दर्शन में अन्तराय देना। (4) दर्शन से द्वेष करना। (5) दर्शन अथवा दर्शनवान् की असातना करना। (6) दर्शन या दर्शनवान् के साथ विवाद करना अथवा उन में दोष दिखाने की चेष्टा करना। (भगवती शतक 8 उद्देशा है) ४४२-मोहनीय कर्म बांधने के छः कारण (1) तीव क्रोध, (2) तीव मान, (3) तीव माया, (4) तीव्रलोभ, (5) तीवू मिथ्यात्व (6) तीवू नोकषाय। (भगवती शतक 8 उद्देशा 6)