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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह
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इसमें स्थान नहीं है। एक हिंसक से अहिंसक बनने की आशा की जा सकती है लेकिन कायर कभी अहिंसक नहीं बन सकता।
अहिंसा की व्यावहारिकता किसी किसी का मत है अहिंसा का सिद्धान्त अव्यावहारिक है। जिस बात की व्यावहारिकता प्रत्यक्ष दिखाई दे रही हो उसे अव्यावहारिक कहना उचित नहीं कहा जा सकता । विश्व की शान्ति के बाधक जितने कारण हैं सब का निवारण अहिंसा द्वारा होता प्रत्यक्ष दिखाई देता है । क्रोध कभी क्रोध से शान्त नहीं होता, तमा से शान्त होते हुए उसे हम प्रत्यक्ष देखते हैं। इसी तरह द्वेष, ईर्ष्या आदि दुर्गण प्रेम, प्रमोद आदि से नष्ट होते हैं। इसलिए यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि पूर्ण अहिंसा का पालन ही विश्वशान्ति का एकमात्र व्यावहारिक उपाय है। ___अहिंसा व्रत को अङ्गीकार करने के लिए जीवन में नीचे लिखी बातें उतारना आवश्यक है__ (१) जीवन को सादा बनाते जाना तथा आवश्यकताओं को कम करते जाना। (२) प्रत्येक कार्य जयणा अर्थात् सावधानी से करना और जहाँ तक हो सके भूलों से बचते रहना । अगर भूल हो जाय तो उस की उपेक्षा न करके प्रायश्चित्त ले लेना तथा भविष्य में उस भूल के लिए सावधान रहना । (३) स्थूल जीवन की तृष्णा तथा उस से होने वाले राग द्वेष आदि घटाने के लिए सतत परिश्रम करना। प्रश्न- अहिंसा दोष क्यों है ? उत्तर- जिस से चित्त की कोमलता घटे और कठोरता बढ़े तथा स्थूल जीवन में अधिकाधिक आसक्ति होती जाय उसे