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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
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(७) औपशमिक, पारिणामिक । (८) नायिक, क्षायोपशमिक । (8) क्षायिक, पारिणामिक । (१०) क्षायोपशमिक, पारिणामिक ।
त्रिक संयोग के १० भङ्ग (१) औदयिक, औपशमिक, क्षायिक । (२) औदयिक, औपशमिक, क्षायोपशमिक । (३) औदयिक, औपशमिक, पारिणामिक । (४) औदयिक, नायिक, तायोपशमिक । (५) औदयिक, नायिक, पारिणामिक। (६) औदयिक, क्षायोपशमिक, पारिणामिक । (७) अोपशमिक, क्षायिक, क्षायोपशमिक । (८) औपशमिक, क्षायिक, पारिणामिक । (8) औपशमिक, क्षायोपशमिक, पारिणामिक । (१०) क्षायिक, खायोपशमिक, पारिणामिकः ।
___चतुस्संयोग के पाँच भङ्ग (१) औदयिक, औपशमिक, क्षायिक, सायोपशमिक । (२) औदयिक, औपशमिक, क्षायिक, पारिणामिक । (३) औदयिक, औपशमिक, सायोपशमिक, पारिणमिक । (४) औदयिक, नायिक, तायोपशमिक, पारिणामिक । (५) औपशमिक, क्षायिक, क्षायोपशमिक, पारिणामिक ।
पंच संयोग का एक भङ्ग (१)ोदयिक,औपशमिक,सायिक,तायोपशमिक,पारिणामिक। ___ इन छब्बीस भङ्गों में से छः भाँगे जीवों में पाये जाते हैं। शेष बीस भङ्ग शून्य हैं अथात कहीं नहीं पाए जाते।
भारपणामक।