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[ ४७ ] विषय
बोल नम्बर | विषय मषोषदेश
३०२ मौन चरक मेघ की उपमा से चार दानी ।
बोल नम्बर
३५३
पुरुष
३१५
१७२ ।
४२१
७८
३६६
३६१
मेघ को उपमा से पुरुष के
| यथाख्यात चारित्र
। चार प्रकार १७३ । यथाच्छन्द
३४७ मेघ चार
यथातथ्य स्वप्न दर्शन मेघ के अन्य चार प्रकार (क) १७४
यथाप्रवृत्ति करण मेय किरियाणा २६४
यथासूक्ष्म कुशील मैत्री भावना
२४६
| यथासूक्ष्म पुलाक ३६७ मैथुन विरमण महाव्रत ३१६ |
१५ यथा सूक्ष्म बकृश मैथुन विरमण रूप चतुर्थ ।
यथा सूक्ष्म निग्रन्थ ३७० महाव्रत की पांच भावनाएं ३२०
युग संवत्सर
४०० मैथुन संज्ञा १४२
। युद्ध शूर
१९३ मैथुन संज्ञा चार कारणों से ।
योग उत्पन्न होती है
१४५ योग की व्याख्या और भेद ६५ मोक्ष पुरुषर्थ
३२९ | योग प्रतिक्रमण मोक्ष प्राप्ति के पांच कारण २७६ मोक्ष मार्ग के चार भेद
योनि की व्याख्या और भेद ६७ मोक्ष मार्ग के तीन भेद ___७६
४०६ मोह गर्भित वैराग्य ६० रस गारव मोह जनन
४०६ रसनेन्द्रिय मोहनीय कर्म की व्याख्या रस पांच
४१५ और भेद
२८ | रहोऽभ्याख्यान मौर्य
३०८ राग बन्धन
२८९
मोह