________________ श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला (4) देवाधि देवः-देवों से भी बढ़कर अतिशय वाले, अत एव उन से भी आराध्य, केवल ज्ञान एवं केवल दर्शन के धारक अरिहन्त भगवान् देवाधिदेव कहलाते हैं। (5) भाव देव:--देवगति, नाम, गोत्र, आयु आदि कर्म के उदय से देव भव को धारण किए हुए भवनपति, व्यन्तर, ज्योतिष और वैमानिक देव भाव देव कहलाते हैं। (ठाणांग 5 उहेशा 1 सूत्र 405) (भगवती शतक 12 उद्देशा 6) ४२३:-शिक्षाप्राप्ति में वाधक पाँच कारण:-- (1) अभिमान / (2) क्रोध। (3) प्रमाद / (4) रोग। (5) आलस्य / ये पांच बातें जिस प्राणी में हों वह शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकता / शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक प्राणी को उपगेक्त पांच बातों का त्याग कर शिक्षा प्राप्ति में उद्यम करना चाहिए / शिक्षा ही इह लौकिक और पाग्लौकिक सर्व सुखों का कारण है। (उत्तराध्ययन मूत्र अध्ययन 11 गाथा 3) समातम