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भेद
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[ २५ ] विपय बोल नम्बर विषय
बोल नम्बर अनुयोग द्वार सूत्र का संक्षिप्त अप्रत्युपेक्षित दुष्प्रत्युपेक्षित उच्चार परिचय
२०४ प्रस्रवण भूमि अन्तकियाएं चार २५४ अप्रत्युपेक्षिन दुष्प्रत्युपेक्षित अन्तचरक
३५२ | शय्या संस्तारक ३११ अन्तरद्वीपिक
७१ । अप्रथम समय निर्ग्रन्थ । अन्तरात्मा
१२५ । अप्रमाण अन्तगय कर्म के पांच भेद ३८८ अप्रमाद
२६९ अन्नाहार
__ ३५६ अप्रमार्जिन दुष्प्रमार्जित उच्चार अन्न इलाय चरक ३५३ प्रस्रवण भूमि अन्य प्रकार से मेघ के चार । अप्रमार्जित दुष्प्रमार्जित शय्या
(ख. १७४ । संस्तारक अपक्वौपधि भक्षण ३०७ । अप्रावृतक अपरिगृहीतागमन ३०४ । अभयदान
१६७ अपरिग्रह
२६६ , अभव सिद्धिक अपरिश्रावी
३७१, अभिवर्धित संवत्सर अपर्याप्त ८, अभिषेक सभा
३६७ अपवाद
४० , अमृषा अपश्चिम मारणान्तिक मले- अमैथुन खना के पांच अतिचार ३१३
अयोग
२६६ अपाय विचय
२२० अरसाहार अपायापगम अतिशय (ब) १२६अरिहन्त अपूर्व करण
अरिहन्त भगवान के चार अपौद्गलिक समकित मूलातिशय (ख) १२६ अप्रत्याख्यानिकी क्रिया २६३ | असली . अप्रत्याख्यानावरण १५ अर्थ कथा
३५६
४००
२६६ २६६