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श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली
Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arra
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एई सोले- भावना सहित धरै व्रत जोइ । देव इन्द्र नरविंद पद द्यानत शिव पद होइ । इति श्री सोलै कारण पूजा जी समाप्तम् ।
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१९६६. सोलहकारण-पूजा
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देखे, ऋ० १९६० ॥ एते षोडशभावना - मोक्ष च सौख्यास्पदम् ।। इति श्री षोडशकारण जयमाला भाषा सस्कृत पूजा समाप्तम् । १६६७. सोलहकारण पूजा
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देखे, ऋ० १९६० देखे, ऋ० १९६१। . . इति षोडशकारण पूजा ।
१६६८. सोलहकारण-पूजा
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देखे, ऋ० १९६० । भविभवियणिवारण सोलहकारण पयडमिगुण-गण-सायरः । पणविवि तित्यकर - " अनुपलब्ध। . . . . . १९६६ सोलहकारण पूर्जा
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सरव परव में बड़ा अढाई परव है; नदीश्वर स्वर जाहि लिए बहु दरव है । हमे सकति सो नाहि इहाँ करि थापना, पूजे जिनग्रह प्रतिमा है हित आपना ।