________________
२७८
श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली
Shri Devakumar Jain Oriental Library Jain Siddhant Bhavan, Arrah
१६१५, रत्नत्रय-पूजा
Opening :
Closing : Colophon :
देखे,, ऋ० १९१२ । अतुलसुखनिधान ... ... • दर्शनाख्य सुधात्रु ॥३॥ इति पडिताचार्य श्री नरेन्द्रसेन विरचिते दर्शनपूजा समाप्ता ।
१६१६. रत्नत्रय-जयमाला
Closing :
जर जय पद्दर्शन अवभव निरसन मोह महातरु वारण । उपसम कमल दिवाकर सकल गुणाकर परम मुक्ति सुखकारण ॥ मदरागकषायरज समन भवदुर्नयदानवमदमनम् । परम शिवमौख्यनिवासफर चरग प्रणमामि विशुद्धितरम् ॥ नही है ।
देखे, ज. मि० भ० ग्र० I, ० ६३२ ।
Colophon :
१६१७. रविव्रत उद्यापन
Opening
पार्श्वनाथमह वदे सर्वविघ्ननिवारकम् । कमठोपसर्गहग्न जोगीकल्पतरु परम् ।। ,
Closing |
रविनतमहापूजा श्लोकपिण्डीकृताधुना । पचात्माविने विप्र लेखक चित्ततप्पका ।। इति श्री भट्टारक श्री विश्वभूषण विरचिते आदित्यवार व्रत उद्यापन विधि पूजा समाप्तम् ।
Colophon
१९१८. रविव्रत-पूजा
Opening •
इश्वाकुवशकुलमडनअश्वसेनो तद्वल्लभ प्रतिवताजिनवामदेवि ।