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Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhramśa & Hindi Manuscripts
( Pūjá-Pātha-Vidhāna )
Colophon 1
इति निर्वाण कल्याणक भाषा सम्पूर्णम् ।
१८५४. नित्यनियम पूजा
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सौगन्धसगतमवुव्रत
पादारविंदमभिवचजिनोत्तमानाम् ॥१॥ सुखदेवौ दुखमेटिवी एहि तुमारीवानी, मो अधीर की वीनती सुन लीजै भगवान । दरसन कीजै देव को आदि मध्य अवसान, सुरगन के सुखभोगके पावै पदनिरवान ॥ इति सम्पूर्णम् ।
Colophon.
१८५५ पदलावनी
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शिखर गिर के ऊपर तिर्थ कर विराजे । आधि रात मे याने देव दु'दुमिवाजे ॥ ममेद शिखर पर्वत केऊपर वीसतीर्थङ्कर मुक्ति गए । ककर ककर सिद्ध विरजे असख्यात मुनि मुनि गए । इति सम्पूर्णम् ।
Colophon •
१८५६. पद्मावती-पूजाविधान
Opening : Closing : Colophon:
देखे, २० १८५७ । पापोभिदिव्यगध्ये, .- • पूजयामीप्टमिदं ॥१॥ अनुपलब्ध।