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श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Sıdhhant Bhavan, Arrah
१७८३ गुरुपूजा
Opening
Closing :
सिद्धान्तसूत्रमकीर्णश्रुतस्कघवने यने । आचार्यता प्रपन्नस्य पादावभ्यर्चयेन्मुने ।। मुनिवर स्वामीनमू सिरनामी दोए करजोडी विनय करू । दीक्षा अति निर्मली द्योमुझउज्वली, ब्रह्मजिणदास भणि कृपाकरी) इति गुरुपूजाजयमाल मम्पूर्णम् ।
Colophon :
१७८४. गुरुपूजा
Opening : Closing ।
देखे, ऋ० १७.३ । कहो कहाँ लो भेद में वुध थोरी गुनभूर । हेमराज सेवक हिये भक्ति भरो भरपूर ॥११॥ इति श्री गुरुमहाराज की भाषा आरती सम्पूनम ।
Colophon।
१७८५. होमविधि
Opening .
Closing ।
तद्यथा ॐ ह्री वी भू स्वाहा । पुष्पाजली । ॐ ह्री अत्रस्थ क्षेत्रपालाय स्वाहा ।। क्षेत्रपाल विधि ।। इति होमविधि ज्ञात्वा तत्रस्था जिन प्रतिमा सिद्धायतन यत्रानि पूर्वनिर्मापितजिनग्रहाभ्यतरे सस्थाप्य पुन पुन, नमस्कार कृत्वा नित्यव्रत गृहीत्वा देवान विसर्जयेत् । इति होम सपूर्णम्।
Colophon:
१७८६. जलयात्रा विधि
Opening :
प्रथमतडागे गत्वा जलसमीपे . ... पार्छ पूजा कीजइ ॥१॥