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१९६ Catalogue of Sanskrit, Praktit, Apabhiamsa & Hindi Manuscripts
(Stotra)
१६४८ विनती
Opening । Closing .
देखे, फ० १६४२ । भव भव सुख पाव जी, प्रभु हो हूँ सहाइ जी। पार उतारी वो जी ।। विनती सम्पूर्णम् ।
Colodhon:
१६४६. विनती
Opening ।
हो दीनबन्यु श्रीपती कस्ना निधान जी यह मेरी वोया क्यो न हगे ......... || टेक ॥ करुनानिधानवान को - अब पार उतारो ॥ टेक ॥ इति विनती सपूर्णम् ।
Closing ! Colophon|
१६५०. विनती
Opening
Closing Colophon
देखे, क ० १६४२ । देखे, ऋ० १६४२ । इति भूदरदास कृत विनती ममाप्तम् ।
१६५१. विनती
Opening : Closing :
देखे, ऋ० १६४० । तेरे दास निहार नीरम कीजिए जो नर नारी गावं जी। भव-भव सुख पावै जी, प्रभु होउ सहाई पार उतारीए जी। इति विनती सपूर्णम् ।
Colophon;