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श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली
Shri Devakumar Jain Oriental library, Jain Siddhant Bhavan, Arrah
Opening :
Closing Colophon
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Opening: Closing
Colophon : विशेष -
१६३८• स्वयम्भू-स्तोत्र
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मानस्तम्भासरासि
ये संस्तुता विविधभक्तिः
अनुपलब्ध ।
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पीठिका स्वयम्भू ॥
विमला कमला जिनेन्द्रा ||
देखे, जे० सि० भ० ० I ऋ० ७८४ ।
१६३६. विनती
करूना ले जिनराज हमारी क्रूना ले महाराज | टेक ॥ इति जितमाला अमल रसाला जो भव्य जन कठ धरई ।
सुर शिव सुन्दर बरइ ||
इति पूजन समाप्ता ।
ग्रन्थ में पूजा भी सकलित है ।
१६४०. विनती
Opening
हो दीन मधु श्रीपति कस्नानिधान जी ।
यह मेरी विथा वयो न हरौ बार क्या लगी ||१||
Closing 1 करुना निधानवान को अब क्यो न निहारे । दानी अनतदान के दाता हौ सम्हारो ॥ वृषचदनदवृ द को उपसर्ग निवारो । ससार विषममार से अवपार उतारो || इति विनती सम्पूर्णम् ।
Colophon :
१६४१ विनती
Opening : देखे, ० १६४० १