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श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली
Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrah.
Colophon 1
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Colophon
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Colophon :
इति श्री पार्श्वनाथस्तोत्र सम्पूर्णम् ।
१५६२. पार्श्वनाथ - सतोत्र
नरेन्द्र फगीन्द्र सुरेन्द्र अधीस सतेन्द्र सुपूज्य नमो नायशीशम् । मुनीद्र गणेन्द्र नमो जोरि हाथ नमो देवचिन्तामणि पार्श्व
नाथम् ॥
गणधर इद्र न कर सके तुम विनती भगवान । द्यानत प्रीत निहारिक कीर्ज आप समान ॥१०॥
इति पार्श्वनाथस्तोत्र सम्पूर्णम् ।
१५६३. पार्श्वनाथ स्तुति
जाकी देह मरकतमनि सो उद्योत अति आनन पे कोटि कामदेव छवि हटकी । अवुज के पत्र सो विशाल दृग लाज भरे मीस पे सरपफन मोभा हे मुकुट की ॥ तुम तो करुना निधि नायक हो मेरी पीर हरो दुखददन की, कर जोरि के लालविनोदी कहे वलि जाऊँ में वामा के
नदन की ||
इति श्री पार्श्वनाथ जी की स्तुति समाप्तम् ।
१५९४• पार्श्वनाथ स्तोत्र
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ॐ ही मात श्री पद्मावते नमः, ॐ नमो भगवते श्री पार्श्वना थाय ही धरणेन्द्र पद्मावती सहिताय
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Closing 1 जो निय कठे धार कम्पमिम कप्परुपु मारित्य । अविकल्प सोकामिय कप्पण कप्पट्ट मो सुई || २३ ॥
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