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________________ १८२ श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrah. Colophon 1 Opening : Closing 3 Colophon Opening Closing ? Colophon : इति श्री पार्श्वनाथस्तोत्र सम्पूर्णम् । १५६२. पार्श्वनाथ - सतोत्र नरेन्द्र फगीन्द्र सुरेन्द्र अधीस सतेन्द्र सुपूज्य नमो नायशीशम् । मुनीद्र गणेन्द्र नमो जोरि हाथ नमो देवचिन्तामणि पार्श्व नाथम् ॥ गणधर इद्र न कर सके तुम विनती भगवान । द्यानत प्रीत निहारिक कीर्ज आप समान ॥१०॥ इति पार्श्वनाथस्तोत्र सम्पूर्णम् । १५६३. पार्श्वनाथ स्तुति जाकी देह मरकतमनि सो उद्योत अति आनन पे कोटि कामदेव छवि हटकी । अवुज के पत्र सो विशाल दृग लाज भरे मीस पे सरपफन मोभा हे मुकुट की ॥ तुम तो करुना निधि नायक हो मेरी पीर हरो दुखददन की, कर जोरि के लालविनोदी कहे वलि जाऊँ में वामा के नदन की || इति श्री पार्श्वनाथ जी की स्तुति समाप्तम् । १५९४• पार्श्वनाथ स्तोत्र Opening ॐ ही मात श्री पद्मावते नमः, ॐ नमो भगवते श्री पार्श्वना थाय ही धरणेन्द्र पद्मावती सहिताय 1 Closing 1 जो निय कठे धार कम्पमिम कप्परुपु मारित्य । अविकल्प सोकामिय कप्पण कप्पट्ट मो सुई || २३ ॥ -
SR No.010507
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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