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श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली
Shri Devakumar Jain Oriental Library. Jain Siddhant Bhavan, Arrah
Colophon.
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Colophon : विशेष
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Colophon
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इति जिनदर्शन संस्कृत सम्पूर्णम् ।
१४७०० जिनदर्शन
प्रभु पतितपावन में अपावन चरन आयो शरण जी,
यो विद आप निहार स्वामी मेट जामन मग्ण जी । या श्रद्धा मोही उर भई, कीजे तुम पद सेव 1 नवल नवल गुण गाय के जै जै जै जिनदेव ॥ इति श्री नवलकृत जिनस्तुति भाषा सम्पूर्णम् । प्रारम्भिक स्तुति कविवर बुधजन कृत है ।
१४७१. जिनदर्शन
देखें, क्र० १४७० ।
जाँचो नही सुरवास
इति श्री भाषा जिनदर्शन सम्पूर्णम् ।
१४७२ ज्वालामालिनी-स्तोत्र
ॐ नमो भगवते चन्द्रप्रभजिनेन्द्राय शशाकश खगोक्षीर हारधवल । गोत्राय घार्तिकम् निर्मलोछेदनाय जाति जरामरणविनाश
नाय
1
दीजीए शिवनाथ जी ॥
क्षू
Closing ज्वालामालिनी ज्ञापयते स्वाहा । Colophoni इति श्री चदप्रभतीर्थ कर की ज्वालामालिनि शासनदेवी सकल दुखहरन मगलकर विजयकर स्तोत्र सपूर्णम् ।
विशेष- इसके आगे एक मंत्र भी दिया गया है ।
देखे, जै सि० भ० ग्र० ० ६७६ । १० सू ।। पृ० ३३६