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श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Sıdhhant Bhavan, Arrah.
१४५३. गणधर स्तुति
Opening : Closing :
इति प्रमाणभूतेय वक्तृ श्रोत परपरा महाधियम् । स्वश्श्रुवद्भिरोवेन मुनिवृ दारकै रत्नदा । प्रसादितो गणेद्रोभूतिग्राह्या हि योगिन । सम्पूर्णम् ।
Colophon |
१४५४. गौतमस्वामी-स्तोत्र
Opening •
Closing ।
ॐ नमस्त्रिजगन्नेनु वीरस्याग्रज मूनवे । समग्रलब्धिमाणिक्य रोहणायेद्रभूतये ।।१।। इति श्री गौतमस्तोत्र तेस्मरतोन्वहम् । श्री जिनप्रभसूरिस्त्व भवसर्वार्थसिद्धये ॥८॥ इति श्री गौतमस्वामिस्तोत्र सम्पूर्णम् ।
Colophon:
१४५५. घंटाकर्ण-स्तोत्र
Opening :
Closing · Colophon.
देखें, ऋ० १२९६ । देखे ऋ० १२९६ । इति घटाकर्ण स्तोत्रम् । सदर्भ के लिए भी देखें, ऋ० १२६६ ॥
१४५६. गुरुभक्ति
Opening ।
वदौ दिगंवर गुरु चरन जग तरन तारन जानी ।