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१२७ Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhiansa & Hindi Manuscripts
(Stotra)
१४०१ 'भक्तामरस्तोत्र
Opening • Closing. Colophon
देखे, ऋ० १३६५ । देखे, ऋ० १३६५। इति श्री भाषा भक्तामरस्नोत्र समाप्तम् ।
१४०२ भक्तामर वचनिका
Opening: देव जिनेश्वर वदिकरि वाणी गुर उर लाय ।।
स्नोतर भन्नामरतणी करु वचनिका भाय ।। मानुत ग वरसूारने रच्यो भवित उर धारि ।।
श्री जिनेन्द्र अनुभावत वधन धरै उतारि ॥ Closing सवत्सर शत अष्टदश सत्तरि विक्रम राय ।।
कातिक वदि वुद्ध द्वादमी पूरण भई सुभाय ।। Colophoni इति श्री मानतु ग आचार्यकृत भक्तामर नाम देशभाषामय वच
निका समाप्त ॥
१४०३ भक्तामर वचनिका
Opening : Closing Colophon .
देखे ऋ० १४०२ । देखे, क्र. १४०२ । इति श्री मानतु गाचार्यकृत भवतामरनाम देशमाषामय वचनिका समाप्तम् ।
१४०४. भक्तामरस्तोत्र
विशेष--यह पूर्णत जीर्ण-शीर्ण है।