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श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library Jain Siddhant Bhavan, Arrab
Colopkon विशेष
इति निदान प्रा समाप्त । शुभमस्तु । सपत् २७५६ । यह अथ माधव निदान मालूम होता है, जिसके लेखक माधवाचार्य हैं।
जि० ग्र० र.,पृ. ११८।
१३५२ पंचदशविधान
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अथात सप्रवक्षामि सुन्दरीयत्रमुत्तमम् । तदक तु प्रवक्षामि श्रृणु यत्नेन साम्प्रतम् ॥१॥ इनगेयुगत करके मो राजा-प्रजा सर्व सकारी सिद्ध होय । नहीं है।
Closing . Colophon:
१३५३. रामविनोद
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Closing : Colopbon
सिद्धि बुद्धि दायक सकल गवरि पुत्र गणेश । विघ्न विनाशन सुखकरन हरखाधारि प्रणमेश ॥ द्रोनि मनक को चार . - राम विनोदी विनोद सौ ॥ इति श्री रामविनोद भाषा ममाप्तम् । सवत् १९०६ मापोनमे मासे वैशापमासे शुक्लपक्षे द्वितीयाया वार भौमवारे का लिखि के सपूर्ण भई मितन्त गोती सघई लाला छेदीलाल तस्य पुत्र उजागर लाल तस्य पुत्र जेठे रतनलाल लघुपुत्र बदलीदास ने पोथी लिखी पठनार्थ अपने हित हेतवे वस अग्रवाल का है । यादृश पुस्तक - " दीयते ॥१॥ जल रक्षेत् • • • पुस्तकम् ॥२॥
१३५४. रूपमगल
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जमालगोटा अर मिरच वरावरी आदी का रस में गोली करे मिरच प्रमाण सध्या प्रात. बाय ।