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१०६ Hindi Manuscrrupts
Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsa &
(Ayurveda)
Closing ।
वार सात पठन तमाचो
पद्मपुत्री विसहगे एक सहस्र · मारी जै सर्प विष उतरे। नही है।
Colophon:
१३४४. अण्टांगहृदय
Opening |
Closing :
इति घन्माद्गुरायादयो महर्षयः जातमात्र यिशाध्यो स्वास्वालसंधसपिपा । प्रतिश्लोशित चानुवला तैलेन सेचयेत् अश्मनोदिन चास्य कर्णमूले समाचरेत् ।। चिकित्मिन हिन पथ्य प्रायश्चित्त भिषज्जितम् । भेपन शमन शस्त पर्याय स्मृतमौषधम् ।। । इति चिकिमि द्वाविंशोऽध्याय । इति वाग्भट्टविरचिताया अप्टोगदत्यनहिताया चिकित्साम्यान चतुर्थ समाप्तम् ।
देखे, रा० सू० III, पृ० २४६ ।
जि० र० को०, पृ० १६ ।
Colophon:
१३४५ त्रिकित्सीगाँस्त्र
Opening • -Closing :
नवा हो नी पु इ ली जइ । दूधमू पी जइ सर्वगेग जाइ ॥१॥ विन्दु आठ कड द्रोण प्रमाण, दुई द्रौंगे इक सूर्य की मान।। दाई मूर्य की द्रोणी इफ लाखी, बिन्दु द्रोणी इक खोरी दोखी ।। नहीं है। इसकी लिपि भिन्न २ लोगो द्वारा लिखी गई है जिससे यह सग्रह अथ मालूम पड़ता है।
Colophon विशेष--