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________________ १०२ श्री जैन सिदान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavani, Arrah १३२१. पन्द्रहयत्र-विधि Opening : आद्वतर की चाल है भणी की घोडे की चाल पहली सुनवको हूँ में भरिय एक अकसु माड के नव अक सु माड के नव अक लिखियै नव को द्वे में इसकी विशेष विधि कहिये दस वार लिखै तो लोक सर्वमोहित हुवै वीस वैर लिप तो आर्वण हुवे तीस वार लिखै तो पृथ्वी में जय पावै । दग्धामापतील चैव शर्कराधृतसयतम् । कृष्णपक्ष तु चाप्टम्या बलि दवा मविरक ? ॥४३।। Closing, १३२२. पार्श्वनाथस्तोत्र-मंत्र Opening । Closing . श्रीमद्देनेन्द्रवंदामलमुकुटमणिज्योतिषा चक्र । .......... पार्श्वनाथोत्र नित्यम् ।। इस्य मत्राक्षरोत्थ वचनमनुपम पार्श्वनाथस्य नित्यम् । " - स्तौति तस्येष्टसिद्धि । इति पार्श्वनाथ स्तोत्र सम्पूर्णम् । Colophon . १३२३. पार्श्वनाथस्तोत्र-मंत्र Opening : ॐ नमो चन्डौन पार्श्वनाथ तीर्थंकराय धरणेन्द्रपावती सहि ताय । . • घोरोपसर्गविनाशनाय है. फ्ट स्वाहा । इति चडोनपाव नाथस्तोत्र सपूर्णम् । Closing . Colophon
SR No.010507
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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