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________________ ६६ श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Juin Oriental library, Jain Siddhant Bhavan, Arrab १३०१. जिनेन्द्र-स्तोत्र Opening । Closing. ततो गधकुटीमध्ये जिनेन्द्राय हरसमयीम् । पूजयामास गधाद्य रभिषेकपुर सरम् ।। लक्ष्मीवानभिषेकपूर्वकमसो श्रीवज्रजघो विभुः द्वात्रिशमुकुटप्रबधमहितक्ष्माभृत् सह ... इति स्तोत्र समाप्तम् । Colophon . १३०२. कामदा-यत्र दिवाली के रात को लिखना भोजपत्र पर अष्टगन्ध सो भुजा मे वाध राखे । अगर मिश्री घी इन सबकी धूप देय । लिखत मुन्नीलाल दिल्ली वाले। Closing : Colophon: १३०३. क्रियाकाण्डमंत्र Opening . Closing ॐ भूर्भूव स्व अर्ह असि आउसा सम्यक्दर्शनज्ञानचारिधारिकेभ्यो नम । वार १०८ नित्य जपिये। मध्यम तर्जनीनामिका अगरीनिजीवन स्वाम। अगुष्ठासो जपमाल रूचि गुण एक बहुतास ॥ नही है। यह ग्रथ इतना पुराना एव सडा हुआ है कि पढा नहीं जा सकता। Colophon : विशेष १३०४. महालक्ष्मी मत्र- ॐ ऐं श्री ह्रीं क्री महालक्ष्मी सर्वमिद्धिं कुरू कुरू स्वाहा ॥ Opening :
SR No.010507
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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