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Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apnbhrama & HindiManuscrripts
(Rosa-Chanda-Alankara Kavya )
Closing |
व्यालीन मुनी अनागार । मुक्त गये जग के आधार ।। पाहि कूट को हरम न फरे। कोट उपयाम तनो फलभरे ।। अनुपलब्ध ।
Colophon.
१२८१. सम्मेदशिखर माहात्म्य
Opening • Closing.
देखें क० १२८२। गमोमरण में जायक वदे वीर जिनेन्द्र । अतोनार नुम दरसन ने पार्ट करम के फद ।।२४ नहीं है।
Colophon :
१२८२. सम्मेदशिखर माहात्म्य
Opening :
श्री ममेषित चरण कमल जुग सब सुख लाइक । श्री मिवलोक यिलोफ ज्ञानमय होत सुनाईक । अनमित सुख उद्योत यार्म वैरी धनधाक । शान भान परगाम पद सब सुखदाइक । ऐमै महत अरिहत जिनन्द निमि दिन भावसी। पायी प्रमाण अविचल सदन वीतराग गुन चावमौ ॥१॥ बीस हजार वरप वीतत मानसीक तह असन करत । दम दुनि पखवारे गए परिमल सहि - ... ॥ Missing.
Closing ।
Colophon:
१२८३. शिखरमाहात्म्य
Opening :
पचगुरु को नमो दोकर सीसनवाय । श्री जिन भापित भारती ताको लागो पाय ॥१॥