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Catalogue of Sanskrit, Praktit, Apabhrama & Hindi Manuscripts
(Dharma-Darsana-Acara)
Closing . Colophon.
देखें, ऋ० ११९३ । इति श्रीपाल दरसन सम्पूर्णम् ।
१९९५. सुदृष्टि तरंगिणी
Opening
तैसे जे मुनि सम्यक सहीत चारित्र के धारक थे सो कोई कर्म की जोरो वरी ते मोह की प्रवतता करि सम्यक राजपद छुटि गया हो • . । आगे अक्षर ज्ञान कहीए है सो उह प्रभाव समास के अन्तभेद में एक भेद और मिलाइए तब अक्षर ज्ञान है सो मह अर्थाक्षर नाम ज्ञान है सो ए मर्व श्रुतिज्ञान के संक्षेप में भाग यह अक्षर
Closing:
जान है।
Colophon
नहीं है।
११६६. तत्वसार
Opening :
Closing .
झाणग्गिट्ठकम्मे हिम्मतमुविसुद्धलद्धसब्भावै । गमिण परमसिद्ध सुतच्चमार पबोच्छामि ॥ मोऊण तच्चसार रेडय मुणिणादेवसेणेण । जो सद्दिठी भावइ सो पावइ सरसय मोक्ख ॥ इलि तत्त्वसार समाप्त ।
देखें, जै० सि6 भ० ० . ० ३९३.
Colophon:
११६७. तत्वार्थसूत्र
Opening :
काल्य द्रव्यपेटक - - सर्व शुद्धदृष्टि ।