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श्री जैन सिद्धान्त भवन मेन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arra).
११७६. सामायिक
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देखें, ऋ० ११३६ । देखें-० ११३६ । इति लघु सामायिक सपूर्ण । जाप्य १०॥ दीजे ।
११७६. सामायिक
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नमः श्रीवर्द्ध मानाय निई तकलिलात्मने । सालोकाना त्रिलोकाना यविद्यादपणायते ॥१॥ अथय पौन्हिकदेववदनायों पूर्वाचायीनुक्रमेण, सकलकर्मक्षयार्थं भावपूजावदनास्तत्रसभेतम् । इति लधुमामायिकैसंपूर्णम् ।
Colophon:
११९० सापाचार
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वदी देव युगादि जिन, गुर गणधर के पाय । मुमरू देवी सारदा, रिद्ध सिद्ध वरदा 1979 मंगल भगवान वीरो मगले गौतमो गणी। मगल कु दकु दाद्यो, जैनधर्मोस्तु मगलम " इति सापाचार जिनमत की संपूर्णम् ।
Clolophon.
११५१. साततत्त्व
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जीव १। अजीव ।३। आव ।३। क्य ।४। मंवर १५१ निर्जरा 161 मोक्ष ।७। एहि सात तत्त्व है इनमे पुन्य और पाप मिलिक नौ पदारथ कहिए हैं।