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श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrah,
११६५. समयसार गाथा
Opening:
Closing .
वीतराग जिन नत्वा ज्ञानानदैकसपद. । वक्ष्ये समयमारस्य वृत्ति तात्पर्यसज्ञिकाम् ॥१॥ सुद्धोसुद्वादेसो णायन्बो परमभावदरिमीहि । ववहारदेसिदो पुणजे अपग्मे ठिदा भावे ॥१५॥ इति समयसार गाया सम्पूर्णम् ।
Colophon:
११६६. समयसार नाटक
Opening :
करम भरम जग तिमिर हरन खग उरग लपन पगसिव मग दरसी।
निरखत नयन भविक जल वरखत हरषन अमित भाविक जन दरसी। मदन कदन जित परम धरम हित सुमिरत भगति भगत सवदरसी। सजल जलद तन मुकुट पपत फन करम दलन जिन नमन
वनारसी ॥१॥ Closing : मर्मसार आतमदरव नाटक भाव अनत ।
सोहै आगम नाम मै परमारथ विरतत ॥७२७।। Colophon • इति श्री परभागमसमैसारनाटकनाम सिद्धान्त सपूर्णम् । श्रीरस्तु ।
कल्याणमस्तु । शुभभवतु । देखे, जै० सि० भ० ग्रे० I, २० ३४२ ।
११६७. समयसार नाटक
Opening : Closing .
देखें, ऋ० ११६६ । देखै, ऋ० ११६६ ।
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