SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 252
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली shri Devakumar Jain Oriental Library. Jain Siddhant Bhavan, Arrah. Closing ! भव थिति जिनकी घटि गई तिनको यह उपदेश । कहत वनारसीदासयो मूढ न समुझेलेस ॥२२॥ इति मोक्षमार्ग पैडी समाप्ता। Colophone ११४२. मोक्षमार्ग पैडी देखें, ऋ० ११४१ । Opening : Closing ! देखें, ऋ० ११४१। । Colophon : इति मोक्षपैडी संपूर्णः । ११४३. म .त्यु महोत्सव Opening : Closing : मृत्युमार्गप्रवृत्यस्य वीतरागो ददातु में । समाधिवोधिपार्थय यावन्मुक्तिपुरीपुरम् ॥ स्वर्गादेव्यविचित्रनिर्मलकुले संस्मर्यमानाजन:, भूत्वा मुक्तिविधायिना बहुविधिं बाक्षानुरूप फलम् । भुक्त्वा भोगमहग्निश परकृत स्थित्वा भणमडले, पात्रावेशविबजनामिवमृत सतो लभतिस्तत ।। इति मृत्युमहोत्सव सम्पूर्णम् समाप्ता। देखें, ज० सि भ० प्र० 1, ऋ० २७० । Colophon: ११४४. मुक्तिसूकावली Opening : देवलोक ताको घर आँगन राजा ऋद्धि सेवतसुपीय। ताके तन सौभागआदि गुन केलि विलास करि मित आय ११ सो नर उतरस भवसागर निरमल होइ मोक्ष पद पायें। दरव भाव विधि सहित बनारसि जो जिनवर हरजिमन लाई HAR
SR No.010507
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy