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२१ Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsa & Hindi Manuscripts
( Purana. Carita, Katha)
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Closing !,
१०६६. स्वरूपसेनकथा
कोसावीवास्तव्यो राजाजयसेनो जयावती प्रियस्तस्यपुत्रद्वयमभूत् । ज्येप्टो रूपसेनो लघुर्देवसेनः । सूरसेनोपितया सहससारिक सुखमनुभूय प्रात स्वरूपेण स्वपत्म्या सहितो दीक्षाम् ॥ आदायालोचितदु खकर्मा · आससाद् ।। इति मित्रे स्वरूपसूरसेम कथा सपूर्णम ।
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२०७०. वीरजिणंद
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वीर जिनद समोस राजी वद मेघकुमार, सुण देसण वरागीउ जी इह ससार असार रि माई उन मति देह मुझ आज ॥१॥ तप तन सो सौतहागइ जी पहुतो अनुत्र विमाण वीर चरण नित सेवसइ जी ते पामसि भव पार हु स्वामी अम्ह० ।। इति वीर जिणद समाप्त ।
Colophon:
१०७१ विष्णुकुमारकथा
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देखें- ऋ० १०५५ ॥ विष्णु कुमार मुनिद्र की करनी कथा रसाल सुनो। भव्य जन पाव सो कही विनोदीलाल मुनि उपसर्ग निवा
___रनी कथा सुनो। जो कोई करूना उपजे चित मै दिन दिन मगल होय । इति श्री विष्णु कुमार की कथा मम्पूर्ण ।
देखे, जै० मि भ. ग्र० I, २० १५१ ।
Colophon :