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श्री जैन सिद्धान्त भवन न्यावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, lain Siddhant Bhavan, Arrahi,
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Closing:
कुजवरनि से - • होए । पंत दुनीया ले नर सोएं। पुण्या तणो मच भडार पर भव पाव मोलि उवार ॥२७ ।। मही हैं।
Colophon:
१०४४. रविव्रतकथा
Opening :
Closing :
श्री सुखदायक पास जिनेंण, प्रणमौ भव्य पंयोज दिनेश । सुमरो सारद पद अरविंद, दिनकर वत प्रगटौ सानद (११ करम रेख कारण मति भड, तैव इह धर्म कथा अरु ठइ । मंनि धरि भाव सुणे जो कोइ, सो नर स्वर्ग देवता
होड ॥१४॥ ___ इति रविन कथा।
०सि० भन० 1. ऋ० १०५।
Colophon :
१०४५. रविव्रतकथा
Opening : Closing
देखे, ऋ० १०४४। यह व्रत जो नरनारी
भानु कीरत मुनिवर यों
कहै ॥२४॥
Colophon
इति रजिव्रत कथा सपूर्णम् ।
१०४६. रविव्रतकथा
Opening · चौबीसतीर्थकर जी क् नमस्कार कर मै रोटतीज कथा
व्रत कहिए है। इह जज्बूदीप है तामै भस्त क्षेत्र है तामै आर्य खण्ड
है, धन्यापुरी नार्मी नगरी बस है। Closing देखें, ३० १७४५ ॥