SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 485
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २८५ Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Adabhrath sha & Hind Manuscripts ( Puja-Patha-Vidhana) Closing : देखे, ऋ० ८५१ । । Colophone देखे, का ८५१ । श्रीसवत् १९५१ मी. वैशाख कृष्ण परिवा को सितलप्रसाद के पुत्र विमलदास ने चडाया पचायती मदिर जी मे १९५३ । ८५३ इन्द्रध्वजपूजा Opening : सकलमेत्र कथामृततर्पक, सकलचारूचरित्रप्रभासतम् । सकलमोहमहातमघातक सकलकलासप्रवासकम् ॥ Closing : देखें, क० ८५१ । Colophon : इति श्री विशालकीात्मज विश्वभूषगभट्टारक विरचिताया इन्द्रध्वज पूजा समाप्ता। सम्वत् १८७० ज्येष्ठ शुक्ल एकादस्या बुधवासरे पुस्तकमिद रघुनाय शर्मने लेखि पट्टनपुर मध्ये। शुभमस्तु । पुस्तक सख्या ३६००। लाला शकर लाल रतन चद के माथे के । ८५४. जन्मकल्याणक अभिषेक जयमाला Opening ! श्रीमत श्री जिनराज "पूजा च मेरौ कृतम् ॥ Closing ! जिनवर, वरमाता " लभते विमुक्ति ॥ Colophon! - इति श्री जन्मकल्याणक अभिषेक की जयमाला सम्पूर्णम् । ८५५. जापविधि Openings ____ॐक्षा क्षी ऑक्षौ क्ष स्वाहा । Closing ! दर्शन दे चाहै तो एक लाक्ष जाप करै दिन तौनि उपवास के पारने चरमोवाह लाल वस्त्र लाल माला कनर के फूल करणा तेज प्रताप अपि करें। Colophon: इति जाप विधि सम्पूर्णम् । ८५६. जिनपचकल्याणक जयमाला Opening! जिनेन्द्रपदाब्जयुग प्रणम्य स्वर्गावर्गार्थ कर कराणा। सुरासुरेद्रादिमिरचनीय तस्यवभक्त्यास्तवन करिष्ये ।।
SR No.010506
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy