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________________ २६४ श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Libraru. Jain Siddhant Bhavan, Arran त्रैलोक्य शातिकरण प्रणव प्रणम्यः होमोत्सवाय कुसुमाजलिमुक्षपामी ॥ Closing | निनने लिखदिनो होम को विधान जान, पडित सु लक्ष्मीचाद नाम जु वखान है। भूल चूक होय जो भाई तुव सुधारि लिज्यो, हमपर छिमाभाव मेरी यह आन है ॥ Colophon: इति सम्वत १९३० मिती चैत्रवदी १० राति आधी गई रोज सोमवार । Opening : ८५०. होमविधान शातिनाथ जिनाधीश वदिन त्रिदशेश्वरे । नत्वा शातिकमावक्ष्ये सर्वविघ्नोपशातये ॥१॥ ॐ ह्रीं क्रो प्रशस्ततर. सर्वदेवा ममाभिलषित सिद्धिं कृत्वा निज-निज स्थान गन्छतु ॐ स्वाहा । इत्याशाधर विरचित शात्यर्थ होम विधान सम्पूर्णम् । Closing : Colophon Closing ८५१. इन्द्रध्वजपूजा Opening | सकलकेवलज्ञानप्रकाशक, सकलकर्मविपाटन सद्भवम् । सकलचिन्मय ज्योतिनिवासक, सकलधर्मध्वजाकित सद्रथम् । पद्मपुरुषपद्मसमानमति, पद्मालयासजमुक्तिभागी। तन्मगल भव्यजनाय कुर्यात् सुरोजचिन्ताक्तिविश्व दृष्टि . ।। Colophoni इति रुचिकगिरिउत्तरदिक, चैत्यालयपूजा समाप्ता। इति श्रीविशान कीतित्यात्मज विश्वभूषणभट्टारक विरचिताया इन्द्रध्वजपूजा समाप्ता। मिति माघ कृष्णपक्षे ६ म्या शुक्रवासरे सवत् १९१० । देखें-(१) दि० जि० ग्र० र० पृ० १७३ । (२) जि. र०, को, पृ० ४० । (३) रा० सू० II, पृ० ५७, ३०६ } (४) रा० सू० HI, पृ० ५., १६८ ॥ (५) आ० मृ०, पृ० १७१। ८५२. इन्द्रध्वजपूजा Opening . देखें, १० ८.१ ।
SR No.010506
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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