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श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library Jain Siddhant Bhavan, Arrab
७७७. स्तोत्र संग्रह गुटका
Opening : Closing
देखें, ऋ० ६०७।
दरसन की देवको आदिमध्यअवसान ।। सुरगन के सुखभुगत के पावं पद निर्वाण ॥२०॥ इति विन सपूर्ण ॥
Colophon
७७८. स्तोत्र संग्रह
Opening : देखें-क्र० ७८५ । Closing __ भाषा भक्तामर कियो हेमराज हित हैत ।
जे नर पढे सुभावसो ते पावै शिवखेत ।। Colophon इति भक्तामर स्तवन सम्पूर्णम् ।
विशेष-लगभग एक सौ स्तोत्र, पाठ, पूजा आदि का मग्रह इस गुटका है ।
७७६, स्तोत्र संग्रह
Opening : प्रणम्य परयाभक्त्या देव्या पादाम्बुज विधा।
नामान्यष्टसहस्राणि वक्षे तद्भक्ति सिद्धये ॥१॥ Closing . - इति पुन मत्र ॐ ह्रीं क्ली क्ल श्रीं ह्रीं नम.। लक्ष
जापत सिद्ध होय। Colophon ! इति शारदा स्तुति सम्पूर्णम् ।।
विशेष—इस ग्रन्थ मे ३७ स्तोत्र मत्रादि का संग्रह है।
७८०, स्तोत्र
:
Opening :
श्री नाभिराजतनुजः सदयाविहारी, देवोजितो जयतु कोसदयाविहारः। श्री शभवो हतभवोदितसारसार , श्री शोभिनदनजिनोदितसारसार. ॥१॥