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Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsha & Hindi Manuscripts
(Stotra)
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Colophon :
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Colophon
७७३. श्रुतभक्ति
दुखओ कम्मओ वोहिलाहो सुगइगमण समाहिमरण जिणगुणसपत्ति होउमुक्त ।
इति श्रुतज्ञानभक्ति नम्पूर्णम् ।
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Colophon :
स्तोप्ये सज्ञानानि परोक्षप्रत्यक्षभेदभिन्नानि । लोकालोक विलोकन- लोलितसल्लोकलोचनानि सदा ||१||
७७४. स्तोत्र संग्रह
स्यानुग्रहतो दूराग्राहपरित्यक्तात्मरूपात्मन. सद्रव्य चिदचित्रिकाल विषय स्वं स्वरभिक्ष गुणै. ॥ ॥ सार्थ व्यजन पर्ययं स्मममवयज्जानातिबोधस्सम तत्सम्यत्कमशेषकर्म भिदुर मिद्धा पर नौमि वः ||१||
1
तुभ्य नमो बेलगुलाधिपपावनाय ।
तुम्म नमोस्तु विभवे जिनगुमटाय
७७५ स्तोत्रावली
नही है ।
...
२६२
हि सकलमन आस्या फली 1
सुप्रमन्नचित्तनी चिताटली श्री सार जीनगुणगावता
इति श्री रोहिणी स्तवन सपूर्णः ।
७७६. स्तोत्रावली :
देखें, क्र० ६०७ |
जहए एवं भावाओ, कम्माण विजाण तह भावा ॥ " अपूर्ण ।
10060
नही है ।