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श्री जैन सिद्धान्त भवन अन्पावली Shri Devakumar Jair. Oriental Library Jain, Siddhant Bhavan, Arrabe
यो धीयते नित्यमिदं प्रकोत्त,
पधाभवों ते परमालभते ।। इति जिमदर्शष्टक समाप्तम् ।
Colophon
६७.. जिनेन्द्र दर्शन पाठी
Opening Closing:
णमो अरिहताण ... ... मी लोए सन्चसाहूणं ।। अन्मजन्मकृत पापं जन्मकोटिमुपार्जितम् । जन्मरोग जरातक हन्यते जिनदर्शनात् ।। इति दर्शन समाप्तः ।
Colophon
६७१. जिनेन्द्र स्तोत्र
Opening :
Closing I Colophon
दृष्ट जिनेन्द्रभवन · .. विराजमानम ॥१॥
श्रेयः पद .. ... . प्रनानुव ॥११॥ इति दृष्ट जिनेन्द्रस्तोत्र सपूर्णम् । ६७२, जिनवाणी स्तुति
Opening
माधुरी जिनेसुर वानी, गुरु गनधर करत बखानी हो । Closing : चारो जोग प्रयोग कौं, औ पुरान परमान ।
अब नमत नंरिद्रप्रीतनित, सदा सत्य सरधान ।। Colophone इति संपूर्णम् । माघशुक्ल १ स. १६६३ सोमवार शुग ।
हरीदास प्यारा।
६७३, जिनगुण स्तवन
Opening 1
तवगतभवतापादौ प्रणम्य सम्यरिजवरपादौ । भक्तागुणमण्युदधेः विमविरपिरपि स्तुतिमहं विवधे ॥१॥