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श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library Jain Siddhant Bhavan, Arrah
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५५२. पीठिका मंत्र
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ॐ नीरजसे नमः। ॐ दप्मथनाय नमः । ॐ ह्री अर्ह नमो भयदो महावीरवठ्माणानम् । नही है।
५८३. सरस्वती कल्प
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बारहअग गिज्जा दसणनिलया चरित्तट्ठहरा। चउदसपुत्वाद्रण ठावे दव्याय सुखदेवी ॥ आचारशिरस सूत्रकृतवा (सरस्वती) सणिठकाम् । स्थानेन समयौद्ध (स्थानागसमयाघ्रिता) व्याख्याप्रज्ञप्तिदोलताम
परमहसहिमाचलनिर्गता सकलपातकपकविवजिता।। अमितवोधपय परिपूरिता दिशतु मेऽभिमतानि सरस्वती ॥ परममुक्तिनिवाससमुज्जवल कमलया कृतवासमनुत्तमम्।। वहति या वदनाम्बुरूह सदा दिशतु मेऽभिमतानि सरस्वती।। मलयकीर्ति कृतामिति सस्तुति सतत मतिमान्नर । विजयकीति गुरुकृतमादरात् समति कल्पलता फलमश्नुते ।। इति सरस्वति कल्प, समाप्त.
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५८४. शान्तिनाथ मंत्र
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ॐ नमोहते भगवते प्रक्षीणाशेषदोष .. ।
चक्रादिसपदका दाता अचिन्त्य प्रतापी हैं । नही है।
५८५. सिद्ध भगवान के गुण
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केही मतिज्ञानावरणीकर्मरहित श्री सिद्धदेवेभ्यो नमः स्वाहा ।
ॐ ह्री सम्य .. .. । नही है।