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श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jarn Oriental Library, Jain Siddhant Bhavaan, Arrah
३७३. सिद्धान्तागमप्रशस्ति
Opening : गिद्धमणतमणि दिय मणुवममप्पत्य सोक्खमणवज्ज ।
केवल पहोह णिज्जियदुण्णय तिमिर जिण णमह ॥१॥ Closing !
सर्वज प्रतिपादितार्थ गणभृत्सूत्रानुटीकामिमा। यभ्यग्यन्ति बहुश्रुता श्रुतगुरु मपूज्य वीर प्रभु ॥ ते नित्योज्वल पद्मसेन परम श्री देवसेनाचिंता ।
भासन्ते रविचद्र भासिसुतप श्री पाल सत्यकोतिय ॥३६॥ Colophon :
These two Prashastees of Shri धवन सिद्धान्त and जयधवल सिद्धान्त are personally Copied from श्रा सिद्धान्त शास्त्र at गुरुवस्ति in moodbidri for the sake of the, Central Jain Oriental Library alias » सिद्धान्त भवन at Arrah, on the 30 th August 1912 at 10.30am. to 1230 am
By the most humble
जिनवाणी सेवक तात्या नेमिनाथ पॉगल
वार्शी-टोन
३७४. सिद्धान्तसार
Opening : जीवगुणट्ठाणसण्णापज्जत्ती पाणमग्गणणवणे ॥
सिद्ध तसारमिणमो भजामि सिद्धणमूसित्ता ॥ १॥ Closing!
सिद्दन्तसारवरसुत्तगुत्ता साहतु साहू मयमोहचता।
पूरतु हीण जिणणाहभत्ता वीरायचित्तासीवमग्ग जुत्ता ।। ।। Colophono :
सिद्धान्त सारसमाप्त.। श्रीवर्धमानाय नमः। हृयेन जिनेन्द्रदेवाचार्यनिन्दगता ॥
- सपूर्ण - देखे--जि० र० को०, पृ० ४४० । Catg. of Skt. & pkt Ms., P. 709. Catg. of Skt & Pkt. Ms., P. 312