________________
XV
'इन्ट्रोडक्शन' मे डॉ. गोकुलचन्द्र जी जैन, अध्यक्ष प्राकृत एव जैनागम विभाग, सम्पूर्णानन्द सस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी ने ग्रन्थावली के पूरे परिचय के साथ उसका महत्व भी स्पष्ट किया है। तथा अनेक मौको पर उनका मार्गदर्शन भी मिलता रहा है, जिमके लिए मैं उनका हृदय से आभारी हूँ। सस्थान के निदेशक के रूप मे डॉ० राजाराम जैन के मार्गदर्शन के लिए उनका भी आभारी हूँ। श्री बाबू सुवोधकुमार जी जैन तथा श्री अजयकुमार जी जैन का तो निरन्तर ही मार्गदर्शन तथा निर्देशन रहा है। यही दोनो व्यक्ति प्रेरणा स्रोत भी रहे, अत उनके प्रति भी आभार व्यक्त करता हूँ। अपने ग्रन्यागार सहयोगी श्री जिनेशकुमार जैन तथा प्रेस सहयोगी श्री मुकेशकुमार वर्मा का भी आभारी हूँ, जिन्होने समय-असमय कार्य पूरा करने मे निरन्तर मदद की। इनके अतिरिक्त जिन अन्य व्यक्तियो मे परोक्ष-अपरोक्ष रूप में सहयोग मिला है, उन सवका हृदय से आभार मानते हुए आशा करता हूँ कि भविष्य में भी हमे उनका सहयोग मिलता रहेगा।
-ऋपभचन्द्र जैन फोजदार
शोधाधिकारी, देवकुमार जेन प्राच्य शोध मरान
आरा ( विहार)