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श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrab
११५. सम्यक्त्वकौमुदी
Opening
देखें, ११४ ।
Closing :
चदसूर पानी अवनि, जवलग अवर आकाश । मेरादिक जवलगि अटल, तवलगि जैन प्रकाश ।।
Colophoni इति श्री सम्यक्त्व कौमुदी कथा साह जोधराज गोदीका
विरचिते उदतोदयभूप अरहदाससेठादिक स्वर्गगमनवर्णन नाम एकादश परिच्छेद । इति श्री समकित कौमुदी कथा साह जोघराज गोदीका जातिभावसाकी करि भाषा समाप्त । सवत् १९१३ पौष मासे कृष्ण सप्तमीया गुरुवासरे। श्लोक सख्या १७०० ।
११६. सम्यक्त्वकौमुदी
Opening : Closing :
देखें, ऋ० ११४ ।
धरम जिनेश्वर कोय है, स्वर्गमुक्ति पद देय । ताकी मनवचकाय सौं, देवसु पूज करेय ॥ अनुपलब्ध।
Colophon .
११७. सम्यक्त्वकौमुदी
Opening : देखे, ऋ० ११४ ।
Closing : देखें, ऋ० ११४ । Colophon: इति श्री सम्यक्त्व कौमुदी कथा भाषा जोधराज गोदीका
विरचिते उदितोदयभूप अर्हदाससेठादिक स्वर्गगमन कथा सधी ग्यारमी सम्पूर्णम् ।
देखें, क्र. ११४ ।