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Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsha & Hindi Manuscripts ( Purana, Carita, Kathā )
Opening
'बीच मे मन्दिर का चित्र है उसके दोनो ओर इन्द्र हाथियो के साथ वर दुराते हुए ''
काष्टावरण पर (भीतर)
" चौबीस तीर्थंकरो के चिह्नों के बहुत ही सुन्दर रंगीन बने हुए हैं।
चौबीस तीर्थंकरो के चिह्नों के चित्र एव तीर्थंकरो नाम टीकाकार की हस्तलिपि में स्पष्टरूप से लिखे हुए है । लकडी पर चित्रकारी का कौशल अनुपम है. जो कि अन्यत्र बहुत कम उपलब्ध है । अग्रेजी मे इसे "लेकर वर्क" चित्रकारी कहते है, जो कि सामान्यतया पानी पडने पर भी नही घुलता । इस तरह के चित्रकारी के लिए चित्रकारिता का विशिष्ट ज्ञान आवश्यक है ।
कला पारखी दर्शको के लिए इस काष्ठपट्ट पर बनायी गई अनुपम चित्रकला को श्री जैन सिद्धान्त भवन के अन्तर्गत श्री शातिनाथ मंदिर के प्रागण मे श्री निर्मलकुमार चक्रेश्वरकुमार कला दीर्घा मे रखा जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक दर्शक इसे देख सके ।
८४. पद्मपुराण वचनिका
महावीर वर्दी सुबुधि रतन तीन दातार । निजगुण हमे द्यौ अब, अपनो जानि हितकार ॥ तादिन सपूर्ण भयो यह ग्रथ सिव दाय ।
चहु संघ मगल करो, वढी धर्म जिनराय ||
चित्र "
Closing :
Colophon :
Opening i
इति श्री रविषेणाचार्य कृत महापद्मपुराण संस्कृत ग्रंथ ताकी भाषा वचनिका बालबोध का तेईसवां पर्व पूर्ण भया । इति महापद्मपुराण समाप्तम् । १२३ ।। सवत् १८४८ वर्षे भादो सुदी १२ को लिख चुके, लेखक वखतमल्ल नंद वमी वारी नगर मध्ये लिखा है ।
८५. पद्मपुराण भाषा
सिद्ध...
• प्रतिपादनम् ॥