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श्री जैन सिद्धान्त भवन अन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library. Jain Siddhant Bhavan, Arrah
८२. पद्मपुराण Opening · अथानतर श्री रामलछमन सभा विर्ष विराजे अर राजा
पृथ्वीधर. " । Closing : जे पाले जे सरदहै, जिनवचधर्म सुजान ।
जे भाषे नर सुधता निश्चै लेहि निरवान ।। Colophon : इति श्री पद्मपुराण जी की भाषा ग्रन्थ सपूर्णम् । श्लोक
सख्या २३०००। सवत् १८६०। चैत्रकृष्णद्वितीयाया गुरुवासरे पुस्तकमिद रघुनाथसम्म॑णे लेखि। .
८३. पद्मपुराण वचनिका Opening : चिदानद चैतन्य के, गुण अनत उरधार ।
भाषा पद्मपुराण की भाषू' श्रुति अनुसार ।। Closing : देखे, ऋ० ८४।। Colophon: इति श्री रविषेणाचार्य विरचितमहापद्मपुराण संस्कृत ग्रथ
ताकी भापाव नका विष बालावबोध वर्णनो नाम एक सौ बाईसमा
पर्व पूर्ण भया। यह ग्रंय समाप्तभया शुभ भवतु । माघमासे .. कृष्णपक्षे तिथौ पचभ्या। श्री सवत् १९५३ । अथ श्लोक संख्या
२३२०० । सूवा औध (अवध) देशमुल्क हिन्दुस्तान में प्रसिद्धजिला सु नवानगज
बाराबकी नाम है। टिकैतनगर सुथाना डाकखाना जानौ तासु दिसपूरव सरेया
भलो ग्राम है ॥ कवि भगवानदत्त वास स्थान जानौ तहा अन्न जलकै स्ववम
आयो यही ठाम है। लिख्यौ ग्रथ पदुमपुराण धर्मवृद्धि हेत जिला शाहाबाद
आरा शहर मुकाम है ॥ विशेष - - ग्रन्थ के काष्ठावरण पर (ऊपर) लिखा है
"पुत्र पौत्र सपति बाढ वाढ अधिक सरस सुखदाई । मुसम्मात नन्ही बीवी जोजे बाबू सुखालचद पुत्र धनकुमारचद वो राजकुमारचद . पौत्र संवूकुमारचद जवूकुमारचद जैनेन्द्रकुमार चन्द मगलम् भूयात् ।