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Catalogue of Sanskrit, Prakrit, ^pabhramsha & Hindi Manuscripts
(Purana, Carta, Katha ) ..
Closing : सवत् अष्टादश शत जान। अधिक और पैतीस प्रमान ।
कातिक सुदि नौमी गुरुवार । ग्रन्थ समापित की नौ सार॥ Colophon • इति श्री जीवधर चरित्र आचार्य श्री शुभचन्द्रप्रणीतानु
सारेण नथमल विलालाकृत भाषाया जीवधरमुनिमोक्षगमन वर्णनो नाम त्रयोदशसर्ग. सम्पूर्णम् । इति जीवन्धर चरित्र सम्पूर्णम् । मिती फूस (पौष) सुदी ४ सवत् १९६१ मुक्काम चद्रापुरी।
५६. कथावली Opening :
श्री शारदास्पदीभूत-पादद्वितयपकजम् ।
नत्वाहत प्रवक्ष्यामि व्रत मुकुटसप्तमी ।। Closing... :
मुनिराहे निभोष्ठि
___ द्रष्टव्य -जि. र० को०, पृ० ६६ ।
६०. कुदेव चरित्र Opening : सो हे भव्य तू सुणि। सो देखी जगत विष
भी यह न्याय है। Closing • तो एक सर्वज्ञ वीतराग जो जिनेश्वर देवता का वचन
अगीकारकरि अर ताका वचनाकअनुसारि देवगुरु धर्म का श्रद्धानकरि । Colopnon · इति कुदेव चारित्र' वर्णन सम्पूर्णम् । मिति कार्तिक सुदी
२ सन् १२७६ साल दस बत दुरगाप्रसाद जंनी आरा मध्ये लिखा, जो देखा सो लिखा।
भूलचूक देखके, बुधजन लियो ‘सुधार । हमे दोष मत दीजियो, क्षमा करो जर ज्ञान ।।
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६१/१ मदनपराजय
यदमलपदपद्म श्री जिनेशस्य नित्यम्, शतमखशतमेव्य पद्मग दिवद्यम् । दुरितवनकुठार ध्वस्तमोहाधकार, सदखिलसुखहेतु त्रि. प्रकारैर्नमामि ॥१॥