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________________ श्री जैनसिद्धान्त भवन ग्रन्थावली ĮShri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrah १४. भद्रबाहुचरित्र Opening ! देखें-ऋ० १३। Closing ! देखे-क्र. १३ । Colophon: इति श्री भद्रवाहुचरित्रे आचार्य श्री रत्ननंदिविरचित श्वेतांवरमतोत्पत्ति आपलिमतोत्पत्तिवर्णनो नाम चतुर्थोऽधिकारः ।। इति श्री भद्रबाहुचरित्र समाप्तम् ।। लीलकण्ठदासेन लिखितम् ।। १५. भगवत् पुराण Opening : श्रीमत परमेश्वर शिवकर लीलानिवास शिवम्, नोम्यानन्तशिव महोदयमह लोकत्रयाच्चस्पिदम् । त योगीन्द्रनृपेन्द्रदेवनिकर, सस्तूयमान सदा, यदृष्टया भुवनत्रयेपि नितरा पूज्यो भवेन्मानुष । Closing: खखवह्निशिखिश्लोकसख्या प्रोक्ता कवी शिना । श्रीमतोऽस्य पुराणस्य लेखयतु सुखाथिना ॥ Colophon ! इति श्री भगवत्पुराणे महाप्रासादोद्धारसदर्भे भ० श्री रत्न भूषण भ. श्री जयकीाम्नायप्रवेकनरपत्याचार्य शिष्यब्रह्ममगलाग्रज मंडलाचार्य श्री केशवसेनविरचिते श्रीऋषभनिर्वाणानदनाटक वर्णननामा द्वाविंशतितम. स्कन्धः ।।२२।। सवत् १६९८ वर्षे ज्येष्ठमासे शुक्लपक्षे पूर्णमाश्या तिथौ भृगुवासरे श्री अवतिकापुर्या श्री महावीरचैत्यालये श्रीमत् काष्ठासधे नदीतटगच्छे विद्यागणे भ० श्रीरामसेनान्वये तदनुक्रमेण भ. श्रीरत्नभूषणतत्पट्टे भ० श्रीजयकीति तद्गुरूभ्रातामडलाचार्य श्री केशवसेन तच्छिण्याचार्य श्री विश्वकीति अवल ब्र० कनकसागर ब्र० दीपजी सिद्वान्ती ब्र.राजसागर ब्र० इन्द्रसागर ब्र० मनोहर बा० दाना बा० लक्ष्मी बा. कमलावती पं० चपायण ५० योगराज पं० मायाराम प० बलभद्र इति मघाट के चिरं जीयात । आचार्य श्री विश्व कीर्तिपठनार्थ जोसी उद्धवेन लिखित मिद पुर क चिरतेतु। सवत् १९८९ व आश्विनगो कृष्णपक्षे अप्टम्या तिथी श्री आरनिगश्री स्व. देवकुमारेण स्थापित श्री जैन सिद्धान्तभवने तत्पुत्रबाबू निर्मलकुमारस्य मत्रित्वे श्री प० के० भुजवलीशास्त्रिण अध्यक्षत्वे च सग्रहार्यमिद पुस्तक लिखितम् । शुभमस्तु । १६. भक्तामर कथा Opening , प्रथम पीठि कर जोरि करि शुद्ध भावते शिर नाइये ।
SR No.010506
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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