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________________ प्रथम भाग। (१५) -ware एकत्र होकर मुझसे युद्ध करें तो हार ही मान कर जायेंगे। किन्तु हमारे कुना में पहले विद्या साधने की रीति चली आई है। इस लिये पहले मैं विद्या साधने के लिये दोनों भाइयों को. साथ लेकर बन में जाता हूँ। केकर्स:-जाओ, पुत्र तुम सबसे पहले अपने कुल की रीत निमाओ। (तीनों पुत्र माताको नमस्कार करके जाते हैं। आयो वेटी चन्द्रनखा तुम्हारे पिता के पास चलें । (दोनों चली जाती हैं।) दृश्य समाप्त। अंक प्रथम---दृश्य छटा (भयानक बनम तीनों भाई ध्यान में लीन हैं। नाना प्रकार के डरावने शब्द हो रहे हैं। भूत पिशाच आदि आ आ कर नाचते हैं। उनका ध्यान नहीं डिगता फिर एक देव अपनी दो स्त्रियों सहित आटाहै।) १ स्त्री-अहा ! ये क्या ही सुन्दर युवक हैं । इनकी ये भवस्था खेल कूद के योग्य है। बन में बैठकर बप करने योग्य नहीं है। .२ स्त्री-इनके माता पिता कैसे निर्दई हैं जो उन्होंने ऐसे युवकों को बनमें जाकर तप करने की आज्ञा दी।
SR No.010505
Book TitleJain Natakiya Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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