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." भाग प्रथम
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मुझे बना दो।
केकसी-नहीं वेटी तू नहीं मैंही वनूंगी मेरी लाल, (उसे उठाकर उसका मुँह चूमती है) मेरी प्यारी चन्द्रनखा ।
. इम्मकर्ण-वाह नी वाह तुम तो उसे ही गोदी चढायो । हमभी गोदी चढेंगे।
रावण-तो मैं भी गोदी चढुंगा ।
विभीषण-देखो भाई साहब आप सबसे बडे हो । भाप गोदी मत चढो । माताजी को कष्ट होगा।
रावय-(विभीषण को गोदी लेकर ) मेरे प्यारे विभीषण तुम बडे धर्मात्मा हो । (कुम्भकर्ण को मां से लेकर ) श्राओ कुम्भकर्ण तुम भी मेरी गोदी मा जाओ, मातानी को कष्ट मतदो। (इतने ही में ऊपर से बाजों की आवाजें आती हैं बहुत हल्ला सुनाई देता है, आकाश मार्ग से सेना जा रही है रावण के सिवाय तीनों माता से चिपट जाते हैं।
रावण दृढ़ता से ऊपर को देखता रहता है, वह । अभी मेवल बच्चा ही है। धीरे धीरे सव
, बन्द होजाता है।) रावण-माताजी, यह बाकाश मार्ग से किसकी सेना जा रही है।
केसी-बेटा ये वैश्रवण की सेना- है । जो तेरी मोसी का बेटा है।