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जम्बूस्वामी चरित्र
जानकर विचारने लगा कि किसी तरह स्त्री से उसका पिंड छुड़ाना चाहिये । उसने जाकर कोतवालसे कहा कि रात्रिको कोई जाकर मेरी स्त्रीकेसाथ रमण करता है, उसे रात्रिको आकर पकड़ ले तो तुझे सुवर्णका लाभ होगा। ऐसा कह कर वह घर आगया । रात्रि होने पर पहला पति जागता हुआ ही सो गया कि मैं इस स्त्रीके खोटे चारित्रको देखूं । इतने में रात्रिको दूसरा जार पति आगया तब वह व्यभिचारिणी पहले पति के पाससे उठ कर दूसरे के पास चली गई । जब वह दूसरा जार कामातुर हो स्त्रीभोग करने को ही था कि कोतबाल उसके पकडनेको भागया । कोलाहल होने पर वह दुष्टा पहले जार के साथ आके सोगई । रुद्र स्वभाववारी सिपाहियोंने कहा कि यहां वह जार चोर कहां है । इतने में दूसरा जारपति बोल उठा कि मैं तो निन्द्रामें था, मैं नहीं जानता हूँ | इधर उधर देखते हुए क स्त्रीकेसाथ पूर्वपतिको देखकर पूर्वपतिको पकड़ लिया कि यही वह जार है, तथा यही वह स्त्री है। जिसने पकड़ाना चाहा था वही पकड़ा गया । सिपाहियोंने मारते मारते बड़ी निर्दयता से उसे कोत
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बाली में पहुंचाया !
इस बात को देखकर वह स्त्री डरी, कदाचित् मुझे भी सिपाही पकड़ । इसलिये उसने भागना निश्चय किया तब उसने दूसरे जारको समझा दिया कि हम दोनों मिलकर यहांसे निकल चलें । उस स्त्रीने घरके वस्त्राभूषणादि बहुमूल्य वस्तु ले ली और जारके साथ घर से निकली ।
मार्ग में गहरी नदी मिली । तब यह दूसरा जार मायाचार से
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