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टोडर हैं। यह महान उदार, महा भाग्यवान, कुलके दीपक हैं, चारित्रवान हैं, सभामें मान्य हैं, देवशास्त्र गुरु के परम भक्त हैं, परोपकारमें कुशल, दानमें अग्रगामी, वात्सल्यांगधारी हैं। इनका धन धर्मकार्यों में ही वगता है व इनका मन सदा महतके गुणोंमें मगन रहता है, धर्म व धर्मके फलमें अनुरागी हैं, कुधर्मसे विरागी हैं, परस्त्रीके त्यागी हैं, परदोष कहनेमें मुक हैं, गुणवान होनेपर भी अपनेको बालकवत् समझते हैं, अपनी बड़ाई कमी नहीं करते हैं. स्वममें भी किसीका बुरा नहीं विचारते हैं, अधिक क्या कहें, साधु टोडर सर्व कार्य करने में समर्थ हैं, धन व पुत्रादिसे शोभित हैं, सर्व जीवोंपर दयालु हैं, सर्व शास्त्रोंमें कुशल हैं, सर्व कार्योंमें निपुण हैं, श्रावकोंमें महान हैं, इनकी स्त्री सुन्दर मुखी कौमुभी है जो पतिव्रता है व पतिकी माणमें चलनेवाली है। इन दोनोंके तीन पुत्र हैं जो अपराधीपर कठोर हैं, निर्दोष के उपकारी हैं। बड़ेका नाम गुणवान ऋषभदास है, दुसरेका नाम मोहन है । यह शत्रुओंको भस्म करनेमें अग्निकणके समान हैं। तीसरा माताकी गोदमें खेलनेवाला रूपमांगद नामका है जो रत्नसम प्रकाशमान हैं।
साधु टोडरमलके समयकी उपयोगी बातें।
इन सब परिवारके साथमें साधु टोडर रहते हैं जो एक दिन मथुरानगरीमें सिद्ध क्षेत्र स्थित प्रतिमामोंके दर्शन के लिये यात्रार्थ भाए। मथुरानगरकी हदके पास एक मनोहर स्थान देखा जो सिद्ध क्षेत्रके समान महारिषियोंके वाससे पवित्र था। वही धर्मात्मा साहुने 'निःसही नामके स्थानको देखा, जहां अंतिम केवली श्री स्वामीका