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[६] दिशाओंमें बड़े २ मार्ग हैं । हरएक मागमें छेटी २ गलियां हैं। यह राज्यधानी बादशाहले यशके समान दिन प्रतिदिन उज्वल व ऐश्वर्यसे वृद्धिरूप है, मानो रत्नादि सहित एक महा समुद्र है। परन्तु समुद्र पानी नीचेको जाता है, परन्तु यह नगर सुमेरुपर्वतके समान बहुत उन्नत है। बड़े २ महलोंमें सुवर्णके बल चढ़े हैं, वहां नानाप्रकारके धनी रहते हैं, जहां गान वादिन होरहे हैं। नगरके बाहर नंदनवन के समान बन है जिनमें पृथ्वीको छाये हुए फल लदे हुए छायादार वृक्ष हैं । उस नगर के भीतर पड़े उज्वक जिनमंदिर हैं, उनमें रत्नमई प्रतिमाएं विराजित हैं, उन मंदिरों में पूनाके महान उत्सब हुमा करते हैं । जन्म प्रमाणादिके उत्सव होते हैं।
जैसे सुमेरू पर्वत देवों द्वारा लाए हुए क्षीर समुद्र के गंधो. दकसे शोमता है वैसे ही यहां कमी शांतिकमर्म में अभिषेक करनेके लिये जैन लोग यमुना नदी तक पंक्तिबद्ध खड़े होकर देवोंके समान जल लाते हैं। मंदिरोंमें जय जय शब्द होरहे हैं। यतिगण व श्रावन स्तुति पढ़ रहे हैं, उनकी ध्वनि सुन पड़ती है। कितने ही श्रावक अपनेको कृतार्थ मानके मंदिरमि जारहे हैं। वहां जाकर सर्व भारम्भको छोड़कर धर्मव्यानमें लवलीन हो रहे हैं। इस तरह नाना गुणोंसे पूर्ण यह आगरा राज्यपत्तन है। इस नगरमें टक्का नामळे मरजानी पुत्र क्षत्रिय वंशज जिनको कृष्णामंगल चौधरी भी कहते हैं, साही जलालद्दीन पावरके निष्ट बैठनेवाले सर्वाधिकार प्राप्त मंत्री है। यह सर्वके हितैषी, प्रतापशाली, श्रीमान् हैं। इन्होंने बड़े शत्रुओं का मान दमन किया है। बहुत धन