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श्री जैन नाटकीय रामायण
द्वारा बतला ही दिया है। हरिवंशपुराण में श्रीकृष्ण का जरासिंधु आदि का पूर्ण वृतांत है। पांडवपुराण से पांडवों का सच्चा हाल मालूम पड़ता है। प्रद्युम्न चरित्र में श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न कुमार का बड़ा,सनोज्ञ चरित्र है, पार्श्वपुगण और महावीर पुराण में चतुर्थकाल के अन्त का सारा वृत्तांन है, इन पुराणों को पढ़कर मनुष्य खोटे मार्ग पर नहीं जा सकता।
सा०--अब अगाड़ी भाप क्या दिखायेंगे ?
ब्र०-आज हमें नाटक खेलते हुवे पांच दिन होगये हैं आज सीता की अग्नि परीक्षा दिखाकर हम अपना खेल समाप्त करेंगे।.
सा.. तो चलिय। ( दोनों चले जाते हैं)
____ अंक तृतिय-दृश्य तृतिय (रामचन्द्रजी दर । पाल में ही दोनों पुत्र और लक्ष्मण शत्र धन खड़े हैं । सुग्रीत्र आदि सीता को लेकर आते हैं, सीता प्राणनाथ कहकर झपटती
है, किन्तु राम दूर से ही रोक देते हैं।)
राम--बस खबरदार, मेरे समीप न पाना मुझे स्पर्श न करना । जिसे मैं एक बार त्याग चुका उसे बिना किसी परिक्षा लिये हुवे नहीं अपना सकता । . . . सीता--देव मैं आपकी हूं । मापको अधिकार है । ग्रहण करें