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भाग प्रथमा
(३१)
(राजमल रोता है। बाप मनाता है। राजमल उठ
जाता है । चुप हो जाता है) राजमल-मापने मुझे क्यों मारा ?
बाप-बेटा मैंने कोई दूसरा समझा था । अच्छा तुम अब गेंद नहीं खेलते ? खूब खेला करो खाया करो, तुम्हें यहां किस बात की कमी है ।
राजमल-आप मुझे नई गेंद लिवा देना, तब मैं म्युनिसपिल्टी के ग्राउन्ड में खेलने जाया करूँगा।
वाप-वहां जाने की क्या जरूरत है, तुम्हारे बैल खाने की जमीन ही गेंद खेलने को काफी है।
राजपल-नहीं पिताजी यहां नहीं। यहां तो मेरी गेंद उड़न छ होजाती है।
वाप-बेटा, उड़न छु किसे कहते हैं।
राजमल-बाह, पिताजी आप उड़न छू का भी मतलब नहीं समझते।
वाप-नहीं वेटा तू बतलादे क्या बात है।
राजमल-देखो पिताजी सुनो, एक दिन मैं गेंद खेल रहा था सो, वह दूसरी तरफ जाकर भुस की कोठरी में जा पड़ी, जब मैं वहां पर लेने गया तो बहूजी और कल्लू वहां पड़े हुवे थे। मैंने कल्लू से पूछा कि यहां गेंद आई है ? उसने कहा कि