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- श्री संभूति विजयः सूरिके बारा.स्वा प्रथम नंदनभद्र, (१) स्थविर उपनंद, (२) स्थविर ती शभद्र, (३) स्थविर यशोभद्र, (४) स्थावर सुमन भद्र (५) स्थविर गणिभद्र, (६) स्थविर पूर्णभद्र, (७) स्थ विर स्थूलभद्र, (८) स्थविर ऋजुमति, (९) स्थचिर जंबू, (१०) स्थविर दीर्घ भद्र, (११) स्थविर पांडुभद्र (१२). स्थविर नाम आचार्य पद्वीका है, इस वास्त स्थविर कहनेसें आचार्य जाणने. ब - श्री भद्रबाहुस्वामीका प्रथम शिष्य स्थविर गो दास, (१) तिससें गोदास नामा गच्छ निकला, और गोदास गच्छ की चार शाखा हूइ. तामलिप्ति शाखा, (१) कोटिवर्षिका (२) पांडवर्द्धनिका, (३) औ रदासीखपटिका, (४), भद्रबाहु स्वामीका दूसरा शि ष्य स्थविर अभिदत्त, २, तीसरा स्थविर यज्ञदत्त, ३, और चौथा स्थविर सोमदत्त, ४.
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(८) श्री स्थूलभद्रस्वामी, श्री वीरात् २१५ वर्षे स्वर्ग. इनोंके समय में प्रथम वारांवर्षी काल पडा. श्री. सुधर्म स्वामीसें लेकर श्री स्थूलभद्रस्वामी तक आ स्थविर चौदह १४, पूर्व के पाठ कथे. श्री स्थू